Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Jun 2022 · 1 min read

क्या खोया क्या पाया

क्या खोया -क्या पाया
————————–
क्या खोया,-क्या पाया तूने ,
जीवन की आपाधापी में।
सब कुछ पीछे छोड़ दिया,
मृगतृष्णा के फेर में।।

जीवन को यूं तन्हां जिया जाए,
कोई हमदर्द नहीं, अकेले ही रहा जाए।
“एकला”चलो हे यही सच्चाई,
हे!मानव तेरी इसी में है भलाई।

सबके होते हुए हम सब,
अकेले ही होते हैं।
कौन किसके दर्द बांटता,
सब अकेले ही सहते हैं।।

अपनी वेदना को मुस्कुरा कर सहा है,
हे!कौन ऐसा जग में ,
जिसने दुःख नहीं झेला है।
विष की तरह हमने ,
दुःखो को पिया है—-
जीवन अपना मानव ,
ऐसे ही जिया है ।।
क्या खोया क्या पाया तूने—–
जीवन की आपाधापी में—-

सुषमा सिंह*उर्मि,,

Loading...