*बुरा कब तक तुम्हारा है (गीतिका)*
बुरा कब तक तुम्हारा है (गीतिका)
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(1)
कहॉं परिदृश्य कुछ बदला ,वही फिर से नजारा है
सड़क दंगाइयों के नाम ,फिर इंसान हारा है
(2)
शहर को कॉंपते थर-थर सभी ने आज फिर देखा
सुना है नाम पर मजहब के ,फिर कोई इशारा है
(3)
पुलिस के जो जले वाहन ,किया जो भीड़ ने तांडव
हुआ नुकसान सरकारी ,कि मतलब सब हमारा है
(4)
किसी भी बात को इंसान ,चाहे तूल जितना दे
दुपहरी-बाद मौसम का गिरा हर रोज पारा है
(5)
जो अच्छा आदमी हो सिर्फ उसको साथ में रखना
बुरा कब तक हमारा है ,बुरा कब तक तुम्हारा है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451