Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
12 Jun 2022 · 1 min read

दुनिया की रीति

इस जग में पैदा लेना
फिर यही भव में मिटना
पाँचों तत्वों में हमारा तन
मिलकर विलीन हो जाता
इतना समय के लिए यहां
रिपु, वैरी भी बन जाता यहां
प्रतिदिन करोड़ों की संख्या में
लोग जग में आते- जाते रहते
सत कोई भी मनुष्य न चाहता
कि हमारा हो जाए निधन यहां
पांच तत्वों मिलकर करता निर्माण
इसी में मिल जाना दुनिया की रीति।

जब कभी होता द्वंद्व, समर
तो हम दोनों दलों के मनुज
मिलकर जाते विद्वान के पार्श्व
लड़ाई-झगड़े का अंत खोजने
वो शांति से सब जान बूझ के
दोनों दलों के साक्षियों को
बुलाकर पूछताछ करते
पूछ ताछ करने के पश्चात
जिसको जितना रहती त्रुटि
उसको उतना मिलता दंड
वक्त पे कोई भी निज न अपना
न देता मेल कोई दुनिया की रीति।

Loading...