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11 Jun 2022 · 1 min read

खुशियाँ समेट कर

फेंक दो अपनी उम्मीदों को सफ़ेद चादर लपेट कर
वरना हर शख्स ले जाएगा तुम्हारी खुशियाँ समेट कर
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

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