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11 Jun 2022 · 1 min read

अनुपम माँ का स्नेह

अनुपम मां का स्नेह है , अनुभव का नहि तोड़।
शतजीवी हों कामना,माँ अपनी बेजोड़।
माँ अपनी बेजोड़ ,समस्या सब हर लेती।
ममता की है छाँव,ठाँव है सबको देती
कहें प्रेम कवि राय, मातु सत्ता सर्वोत्तम।
मातु वेद सम ऋचा, मातु की वाणी अनुपम।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

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