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10 Jun 2022 · 1 min read

जीवन जीने की शैली हो ....

तुम केवल एक शैली नही,
जीवन जीने की शैली हो,,
तुम कुसुम कली की कुंदन पंखुड़ी
जीवन की मधुर पहेली हो।

तुम ब्राह्मणकुल की मर्यादा,
तुम शौर्य तेज की धारक हो,,
तुम पावन शीतल सी गंगा,
तुम शत्रु हृदय विदारक हो।

हैं विम्बा फल से मधुर अधर
हे तीक्ष्ण नेत्र ज्योति वाली ,,
अभिमान रहित तुम सदा प्रसन्न,
तुम निज आंनद में मतवाली।

तुम मिश्री घुली मीठा पानी,
तुम कवि ह्रदय की मधुर कहानी,
तुम सुंदर पुनीत पावन कथा,
जिसको सुनकर हो दूर व्यथा।

तुम खुशियों की थैली हो,
तुम केवल एक शैली नही
जीवन जीने की शैली हो।

-पर्वत सिंह राजपूत “अधिराज”
ग्राम सतपोन सीहोर मध्यप्रदेश

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