अनुशासन है बहुत जरूरी
मुखिया हो चाहे वो कहीं का ,
कोई दल ,परिवार या देश का ।
अनुशासन में रखने का सभी को,
उसमें ऐसा गुण होना ही चाहिए ।
मुखिया होगा कुशल महारथी ,
तो लगाम को कभी ढीला न छोड़ेगा ।
अपने कुछ अड़ियल कुछ सयाने ,
घोड़ों को एक साथ बांधके रखेगा ।
थोड़ा प्यार ,थोड़ी सी फटकार ,
कभी नरमी तो कभी सख्ती ।
बहुत जरूरी है बराबर मात्रा में,
जो सभी सदस्यों को बांधे रखती।
ठीक वैसे ही जैसे कोई गुरु व्यवहार करे ,
बाहर से तो ठोके मटके को मजबूती हेतु।
मगर अंतस्थल को आत्मीयता से संभाल करे,
एक आदर्श शिष्य के व्यक्तित्व निर्माण हेतु।
तभी तो जग में बढ़ेगी इज्जत ,
देश ,दल और परिवार की ।
जब सभी सदस्यों में अनुशासन होगा ,
कड़ी होगी बांधे एकजुटता की ।
याद रखिए इज्जत बनती है मुश्किल से ,
मगर बिगड़ने में जरा से देर नहीं लगती ।
बड़ी मुश्किल से भी मिलता है स्थान ,
हृदय और नजर में , गिरते हुए देर नहीं लगती।
अतः हे मेरे देश के बड़बोले नेताओ ,
अपनी जुबान पर लगाम लगाकर रखो।
अपने देश की शांति और सम्मान को ,
गैर जरूरी मुद्दे उठाकर यूं न भंग करो ।
अपने मुखिया के साथ सामंजस्य रखो,
ना करो व्यवहार अड़ियल घोड़ों जैसा ।
देश की इज्जत तुम्हारी इज्जत है ,
व्यवहार करो समझदार और जिम्मेदार व्यक्ति जैसा।