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3 Jun 2022 · 1 min read

मोहब्बत का पानी मिलेगा कहाँ पर...

है रिश्तों का हर बीज कमजोर इतना,
जमीं भी है बंजर उगेगा कहाँ पर।
नदियों में जल की जगह स्वार्थ बहता,
मोहब्बत का पानी मिलेगा कहाँ पर।
ऐ कुदरत मुझे बस तू इतना बता दे,
इंसाँ पतित क्यों है इतना यहाँ पर।

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