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2 Jun 2022 · 1 min read

आप मुझको नज़र न आये हैं।

गज़ल-

काफ़िया- आये की बंदिश
रद़ीफ- हैं।
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फेलुन
2122……..1212……..22

आप मुझको नज़र न आये हैं।
फिर भी दिल में मेरे समाये हैं।

दूर रहते हैं आपसे हरदम,
फिर भी नज़दीकियाँ बनाये हैं।

पूछता कौन है गरीबों से,
बच्चे भूखे ही क्यों सुलाये हैं।

खुद को सूरज समझने वाले सुन,
तूने दीपक कभी जलाये हैं।

साथ कांटों से जो निभाया है।
जिंदगी में गुलाब पाये हैं।

जिसनें आँधी से दोस्ती कर ली,
दीप बस वो ही जगमगाये हैं।

जिसने प्रेमी बना लिया प्रियतम,
जिदंगी भर वो मुस्कुराये हैं।

……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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