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2 Jun 2022 · 1 min read

तेरा मेरा मेल कहां प्रिये

तुम रहने वाली महलों की मैं ठहरा गलियों का राजा,
तुम जैसे खुशियों की सौगात मैं किस्मत का बंद दरवाज़ा।
है तेरा मेरा मेल कहां प्रिये———–

तुम हो जैसे खिलता हुआ कमल मैं हूं बस कांटों का गुलाब,
हो तुम परी देश की शहजादी मैं महलों का अदना सा ग़ुलाम।
है तेरा मेरा मेल कहां प्रिये———-

हंसती हो तो लगता है जैसे फुल झरे मैं प्यासा बादल
बुंद को तरसे,
तुम जैसे मिसरी की डली मैं ठहरा तेरे महलों की बाग
का माली।
है तेरा मेरा मेल कहां प्रिये———–

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