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2 Jun 2022 · 1 min read

✍️आझादी की किंमत✍️

✍️आझादी की किंमत✍️
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अपनी आझादी छीन जाने के डर से
ज्यादा पीड़ादायीं और तकलीफ़देह
कुछ भी नहीं हो सकता….
अपनी नाजायज़ ताकतो पे
दुनियां के जालीमो ने
मजलूमो के आझादी को हमेशा छीना है..
खुली हवा में साँसे लेनेवालों को
कभी महसुस नहीं होगा
आझादी के लिये लढ़नेवालो का दर्द…

किसीके सोचने पर…
किसीके लिखने पर…
किसीके गाने पर…
किसीके नाचने पर…
किसीके हँसने पर…
किसीके इंसान होने पर…
किसीके अभिव्यक्ती पर…
और.. और…
किसीके रोटी पर भी…
पाबंदियाँ लगा सकते है ज़ालिम..
तब इंसान सहमकर रह जाएगा
जानवरो के भाँती बंद पिंजरे में…

मुझे भी अफ़सोस है
मेरी आझादी छीन जाने का
ये डर मुझे खुली हवाओं में
सांस लेने का बोझ महसुस कराता है
फिर भी मेरा हौंसला जिवन में आनेवाली
कठीनाईयोसे लड़ेगा..
चुँकि लड़ना इंसान की फितरत है…
मैं अपने आझादी के लिए आखरी साँस तक लढुंगा
क्योंकि
मुफ्त में आझादी का
लुफ्त उठानेवालों को
ये मालूम हो….
आझादी कभी सस्ती नहीं होती…
आझादी कभी सस्ती नहीं होती…
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✍️”अशांत”शेखर✍️
01/05/2022

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