*मौत की आहट (लॉकडाउन-गीतिका)*
मौत की आहट (गीतिका)
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( 1 )
मौत की आहट कहीं से आ रही है
हर तरफ मुर्दानगी ही छा रही है
( 2 )
यूँ खुले बाजार दूकाने सजी हैं
एक आशंका सभी को खा रही है
( 3 )
लोग सड़कों पर टहलने आ गए पर
दूर से सब को नमस्ते भा रही है
( 4 )
छींक दे या खाँस दे कोई अगर तो
देखिए भगदड़ मची – सी जा रही है
( 5 )
दो गज सभी का फासला सबसे हुआ
देखकर तबियत बहुत घबरा रही है
( 6 )
कोई किसी के घर नहीं आ – जा रहा
बेल अपनेपन की यूँ मुरझा रही है
( 7 )
बस एक मछली के मजे है आजकल
साफ पानी में नदी के गा रही है
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451