Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2022 · 1 min read

#जातिबाद_बयाना

मेरे शहर बयाना में भाती भाती के लोग है
जात के नाम पर चौड़ दिखाते “कुछ” ऐसे हरामखोर है
एक ओर करते equality की बात
और दूसरी ओर करते जातपात
हमे रोकते
हमे टोकते
हमे नोचते
हमे तोलते
हमे बार बार जातीसूचक शब्द बोलते
ना सोचते , कि हमरा भी इतिहास में है किस्सा
हम भी तो इसी दुनिया का है हिस्सा

कैसे कोई बड़े कुल में जन्म लेने से बन जाता है – श्रेष्ठ
छोटे कुल में जन्म लेने से हम क्यों कहलाते है – अश्रेष्ठ

अगर है ऐसा
मिटा दो गीता में लिखी बातो को
” इंसान कर्म से श्रेष्ठ बनता है जन्म से नही ”
अगर है ऐसा
तो जला दो “रामायण ” को , क्यों कि लिखने वाला निच्च कुल में जनमा था
अगर है ऐसा
तो निकल फेको बाबा साहेब ही तस्बीरों को
क्यों कि वो भी दलित थे
अगर है ऐसा
तो भूला दो झलकारी बाई के बलिदान को

हे भगवन क्या कभी मिटेगा ये जगलराज़
या कभी खत्म ना होगा भेदभाव
कभी खत्म ना होगा जातिबाद।।

D.k math

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 395 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

" पैगाम "
Dr. Kishan tandon kranti
छौर कर लिया
छौर कर लिया
Sonu sugandh
मैं काला रंग हूं
मैं काला रंग हूं
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
ये बारिश भी...
ये बारिश भी...
हिमांशु Kulshrestha
~ मां ~
~ मां ~
Priyank Upadhyay
4 खुद को काँच कहने लगा ...
4 खुद को काँच कहने लगा ...
Kshma Urmila
"मथुरा, तीन लोक ते न्यारी..!"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मातृशक्ति
मातृशक्ति
Sanjay ' शून्य'
धरती  काँपे  दर्द से , रोता है आसमान ,
धरती काँपे दर्द से , रोता है आसमान ,
Neelofar Khan
पेड़ पर अमरबेल
पेड़ पर अमरबेल
Anil Kumar Mishra
* वर्षा ऋतु *
* वर्षा ऋतु *
surenderpal vaidya
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
Ranjeet kumar patre
शीर्षक: ख्याल
शीर्षक: ख्याल
Harminder Kaur
*अध्याय 8*
*अध्याय 8*
Ravi Prakash
सच को कभी तुम छुपा नहीं सकते
सच को कभी तुम छुपा नहीं सकते
gurudeenverma198
छठी पर्व
छठी पर्व
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
4711.*पूर्णिका*
4711.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेफिक्र तेरे पहलू पे उतर आया हूं मैं, अब तेरी मर्जी....
बेफिक्र तेरे पहलू पे उतर आया हूं मैं, अब तेरी मर्जी....
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ये कैसा घर है ....
ये कैसा घर है ....
sushil sarna
परिवर्तन
परिवर्तन
Ruchi Sharma
जो
जो "समाधान" के योग्य नहीं, वो स्वयं समस्या है। उसे "समस्या"
*प्रणय प्रभात*
आम के छांव
आम के छांव
Santosh kumar Miri
पुलवामा वीरों को नमन
पुलवामा वीरों को नमन
Satish Srijan
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पत्नी का ताना । हास्य कविता। रचनाकार :अरविंद भारद्वाज
पत्नी का ताना । हास्य कविता। रचनाकार :अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज ARVIND BHARDWAJ
Preshan zindagi
Preshan zindagi
रुचि शर्मा
यात्रा
यात्रा
विशाल शुक्ल
"गिराने को थपेड़े थे ,पर गिरना मैंने सीखा ही नहीं ,
Neeraj kumar Soni
pita
pita
Dr.Pratibha Prakash
Loading...