एक हो जाऐ
सोचता हूँ तुम कभी मिलो और बात हो जाए।
फासलें जो हमारे दरमियान है निजात हो जाए।।
इश्क की राह में जब आ गए यहाँ तक तो फिर
इक-दूजे के बिना चलना क्यूँ मंजिल एक हो जाए।।
सोचता हूँ तुम कभी मिलो और बात हो जाए।
फासलें जो हमारे दरमियान है निजात हो जाए।।
इश्क की राह में जब आ गए यहाँ तक तो फिर
इक-दूजे के बिना चलना क्यूँ मंजिल एक हो जाए।।