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24 May 2022 · 1 min read

हौसला

क़ोई यूँही नही एक नजीर बन जाता है
जो ढलता सूरज समझता वही उगता पाता है

गिरना उठाना और उठना गिरना
जीवन के दो ही पहलू हैं
जो साध लिया इन दोनों को
वो ही तो प्रज्ञ कहाता हैं

मानो इन बातों को जीवन का वन पखवारा हैं
दुःख सुख को साधती और सुख जीवन को लहराता हैं

जो ताम्र विचारो को तज के
जीवन जी ले जाता है
वह इंद्रधनुष सा बारिश में
सत लोगो को ललचाता हैं

चलो मानते है तुम सच हो
क्या झूठा मैं बेचारा हूँ
ज्ञान का दर्शन शून्य हुआ
जब जीवन कुछ कह जाता हैं

हार कोई मुझसे पूछे
हँस कर के मैं कह जाता हूँ
ना कर पाया उसको छोड़ो
लो अब कर के दिखलाता हूँ

साधो सक्ति और विचार करो
की क्या क्या तुम कर सकते हो
तुम उगते सूरज जैसे हो
मैं तो दीपक कहलाता हूँ

महेंद्र राय
9935880999

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 583 Views
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