यादें
सोचूं तुम्हें तो थम जाती हैं सांसें,
कहना कुछ चाहूं तो गुम हो जाती हैं बातें।
देखूं तुम्हें तो धड़कनों का शोर होता है,
बस, एक सुरत रहती है नज़रों के सामने,
दिल और दिमाग का पता हीं कुछ और होता है।
चाहूं तुम्हें कितना बस ख्याल यही दिल में होता है,
यादें तुम्हारी अश्क बनके दामन मेरा भिगोता है।
मिलते हो मुझसे कुछ पल के लिए,
मिलते हो और फिर चले जाते हो,
जाते हो,जाना हीं है तो चले हीं जाओ ना,
खुद को मेरे पास क्यों छोड़े जाते हो।