Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 May 2022 · 1 min read

टूटता तारा

आसमान से एक तारा टूटकर,
जमीं पर गिड़ रहा था।
आसमान से बिछड़ने के गम में
वह रोते हुए जमीं पर आ रहा था।

आज हो रही थी उसकी शक्ति विलीन
इसलिए वह मध्यम-मध्यम सा लग रहा था।
धरती के तरफ आने के कारण
वह हमें अच्छा दिख रहा था

पर खो रहा था आज उसका
अस्तित्व,
इसलिए वह मन ही मन
दुख से भरा था।
आज हमेशा-हमेशा के लिए
वह मरने जो जा रहा था।

पर हम सब मुर्ख उससे देखकर
इच्छा पूर्ति की मिन्नत मांग रहे थे।
धरती पर आते देख ताली बजा रहे थे।
जो आज खुद मिट रहा था।
उससे हम खुशियाँ मांग रहे थे।

~अनामिका

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 1079 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

"बेड़ियाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
3211.*पूर्णिका*
3211.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरा प्यार बस्ता
मेरा प्यार बस्ता
shashisingh7232
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार
विशाल शुक्ल
उन्हें जाने देते हैं...
उन्हें जाने देते हैं...
Shekhar Chandra Mitra
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
एक उम्मीद छोटी सी...
एक उम्मीद छोटी सी...
NAVNEET SINGH
अपने भाई के लिये, बहन मनाती दूज,
अपने भाई के लिये, बहन मनाती दूज,
पूर्वार्थ
महात्मा गांधी
महात्मा गांधी
Nitesh Shah
खालीपन क्या होता है?कोई मां से पूछे
खालीपन क्या होता है?कोई मां से पूछे
Shakuntla Shaku
जिंदगी तुम रूठ ना जाना ...
जिंदगी तुम रूठ ना जाना ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
😃खानदानी टुच्चे😃
😃खानदानी टुच्चे😃
*प्रणय प्रभात*
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
शिव के द्वार चलें
शिव के द्वार चलें
Sudhir srivastava
कृष्ण कन्हैया
कृष्ण कन्हैया
Rambali Mishra
प्रेरणा
प्रेरणा
Shyam Sundar Subramanian
“चार आना (25 पैसे) पॉकेट मनी” (संस्मरण )
“चार आना (25 पैसे) पॉकेट मनी” (संस्मरण )
DrLakshman Jha Parimal
23 मार्च यानि शहीद दिवस आज ही के दिन 1931 मे हमारे अमर शहीद
23 मार्च यानि शहीद दिवस आज ही के दिन 1931 मे हमारे अमर शहीद
ललकार भारद्वाज
वाक़िफ़
वाक़िफ़
SATPAL CHAUHAN
महानायक दशानन रावण भाग:02 by karan Bansiboreliya
महानायक दशानन रावण भाग:02 by karan Bansiboreliya
Karan Bansiboreliya
आता है संसार में,
आता है संसार में,
sushil sarna
न ही मगरूर हूं, न ही मजबूर हूं।
न ही मगरूर हूं, न ही मजबूर हूं।
विकास शुक्ल
पहले पुलवामा, फिर अब पहलगाम
पहले पुलवामा, फिर अब पहलगाम
Sakshi Singh
मजबूत हाथों से कच्चे घरौंदे बना रहे हैं।
मजबूत हाथों से कच्चे घरौंदे बना रहे हैं।
Karuna Goswami
*चिंता और चिता*
*चिंता और चिता*
VINOD CHAUHAN
कैसे कहें घनघोर तम है
कैसे कहें घनघोर तम है
Suryakant Dwivedi
हे बेटी...
हे बेटी...
Jyoti Pathak
गंगा महिमा
गंगा महिमा
विधानन्द सिंह'' श्रीहर्ष''
स्वर्णपरी🙏
स्वर्णपरी🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तंत्र सब कारगर नहीं होते
तंत्र सब कारगर नहीं होते
Dr Archana Gupta
Loading...