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9 May 2022 · 1 min read

अभी बाकी है

धरा पर जन्मी
धरा में ही सिमटना अभी बाकी है
कच्ची मिट्टी की बिखरी सी पात्र हूं
अभी चाक पर आकार पाना बाकी
नए सफर में जाने से पहले
थोड़ा निखरने, सवरने में
कई पड़ाव पार करने अभी बाकी है

जीवन एक संघर्ष है
अभी संघर्ष करना अभी बाकी
जीवन रूपी नैया में
सवार हो चली हूं मैं
पर इस समाज रूपी समंदर में
मझधर से निकलना बाकी है
गिरूंगी, घीसूंगी,संभलूंगी फिर खड़ी हो जाऊंगी
क्योंकि अभी हीरे की तरह चमकना बाकी है

तलाश अभी अपूर्ण मेरी
ढूंढती हूं उस पार्श को
जो छू के मुझे सोना बना दे
क्योंकि दुनियां को सोने की
कीमत बताना अभी बाकी है।।
धरा से पूर्ण का अपना रिश्ता
गगन में परचम लहराना बाकी है
अभी कुछ संयम रखो
इस कच्ची मिट्टी में
इंद्रधनुष के रंग भरना अभी बाकी है।

पूजा भारद्वाज

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