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6 May 2022 · 1 min read

इंसानियत की चीखें

मैं अपने ज़मीर को
कैसे बदनाम करूं
अब अपनी गैरत को
कैसे रूसवा करूं!
इंसानियत की चीखें
बिल्कुल अनसुनी करके
अपने आपको आख़िर
कैसे गज़लख्वां करूं!!
तेरे हुस्न की कशिश तो
अभी कम नहीं हुई लेकिन
मेरी हयात की तल्खियां
बढ़ गई हैं क्या करूं!
तख्त और ताज की
साजिशों के मद्देनजर
वक़्त की मांग है कि
मैं तुरंत फ़ैसला करूं!!
Shekhar Chandra Mitra
#बहुजन_शायर #लींचिंग #हल्ला_बोल
#दलित #उत्पीड़न #आदिवासी #हक़

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