Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
1 May 2022 · 1 min read

धुल जाएंगे पाप

********** धुल जाएंगे पाप **********
**********************************

लगाओ गंगामैया में डुबकी धुल जाएंगे पाप,
जो हुए होंगे अंजाने या किए होंगे खुद आप।

बहुत ज्यादा मैली हो गई थी यह दुनियादारी,
शिव-जटा से निकली गंगाधारा करने साफ।

देखकर लोगों के बिगड़े जो आदतन हालात,
पछता रही होगी गंगा मैया क्यों आई आप।

लूट-कसूट की नीति करते हरिद्वार के नाथ,
रोजी रोटी को कमाने ढोंगी कर रहें हैं जाप।

पीकर भर भर मय के नशीले मधुरिम जाम,
दूर हो जाएगी सारी सुस्ती पूरा होगा काम।

लगाने मात्र से शीतल निर्मल जल में डुबकी,
मनसीरत मिट जाएंगे मिले नए-पुराने श्राप।
**********************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Loading...