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27 Apr 2022 · 1 min read

कोमल हृदय - नारी

डॉ अरुण कुमार शास्त्री -एक अबोध बालक -अरुण अतृप्त

*कोमल हृदय -नारी *

नारी का तन झूम उठे
तो समझो झंकृत संसार हुआ ,
जल भी झूमा नभ भी झूमा
है नृत्य मग्न संसार हुआ
चन्दा सी थिरकन थिरकी
अंग अंग है चपल हुआ ,
नारी का तन झूम उठे
तो समझो झंकृत संसार हुआ
बाल सहज क्रीडा उपजी
मन कोमल तन कोमल
भाव जगा , मैं एक लता सी
शरमाई , अंग अंग जब शब्द सजा
नारी का तन झूम उठे
तो समझो झंकृत संसार हुआ

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