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27 Apr 2022 · 1 min read

सूरज हो चाहे कैसा भी

हर सुबह
एक सूरज उगता है
कभी गरम
कभी नरम
कभी आंखों में चुभता है तो
कभी दिखता नहीं
कभी तेज
कभी डरा सहमा सा
बादलों के पीछे छिपा
सूरज हो चाहे कैसा भी
हर रोज सुबह उसे साथ लेकर ही
निकलती है और
शाम तक उसे थामे चलती है
और सुबह की तरह
मैं भी।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

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