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22 Apr 2022 · 1 min read

जख़्म अपने मैं यारो दिखाने चला..!!

जख़्म अपने मैं यारो दिखाने चला
आह दिल की मैं सबको सुनाने चला।

खेल क़ुदरत ने मुझसे है खेला अजब
आज दुनिया को मैं सब बताने चला।

साथ माँ थी तो ज़न्नत बनी जिंदगी
क्या हुआ हश्र माँ बिन दिखाने चला।

ख़्वाब दिल में मेरे सब मचलने लगे
हसरतों को मैं जब जब मिटाने चला।

तरबतर जब भी चेह्रा हुआ अश्क़ से
चाक दामन से उसको सुखाने चला।

ये हवाएँ दरीचों से आने लगीं
ख़ुद को चादर मैं जब जब उढ़ाने चला।

तुमने पत्थर उछाले जो मेरी तरफ़
बुत उन्हीं पत्थरों से बनाने चला।

सिसकियाँ भी लिपट कर के रोने लगीं
भूलकर दर्द जब मुस्कुराने चला।

हो गया जब ख़ुदा भी मेरे रूबरू
माँ का चेह्रा मैं उससे मिलाने चला।

जो तज़रबा मिला जिंदगी से मुझे
गीत ग़ज़लें उसी के मैं गाने चला।

ख़ाक में मिल “परिंदे” ने सीखा हुऩर
इस ज़माने को वो सब सिखाने चला।

पंकज शर्मा “परिंदा”

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