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21 Apr 2022 · 1 min read

बेग़म के शौहर

****** बेग़म के शौहर ******
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बदले – बदले उनके जौहर हैं,
रजब से बेग़म के वो शौहर हैं।

सोचा बदलेगा आलम सारा,
दस्तख़त वो ही बदली मोहर हैं।

उन से मिलते कब हैं तारों में,
तपकर निकले खानों से गौहर हैं।

कोई मनसीरत सा पिसता है,
चादर जैसे मन होते दोहर है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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