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20 Apr 2022 · 2 min read

पिता ( हे पितृ नमन, हे पितृ नमन )

हे पितृ नमन हे पितृ नमन…
————————————–

लेकर जब अपने काँधों पर
दिखलाया था संसार मुझे,
है याद हसीं लम्हा, खुलकर
तब हँसा था पहली बार मुझे ।

जब तक न हुआ था तनिक बड़ा
तुम सदा रहे मेरे घोड़े,
मैं तिक-तिक करता चलता था,
तुम चलते थे दौड़े दौड़े ।

कहाँ गये वादा खण्डित कर ?
ओ ! बचपन के मित्र, नमन
हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. ।

ले जाते थे स्कूल मुझे
बस्ता तख्ती निज लिये हाथ,
कितनी ही बार विलम्ब हुआ
तब दौड़े कितना साथ-साथ ।

फिर बना हासिया तख्ती पर
लिखवाते थे अक्षर अक्षर,
मैं हाथ पकड़ लिखता जाता
हे तात! आपके साथ निडर ।

सब रुधिर-कणों में बसे हुए
वो पल-प्रतिपल के चित्र, नमन
हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. ।

आतीं थीं परीक्षायें मेरी
पर चिंता तुम्हें सताती थी,
जब तक मैं पढ़ता रहता था
कब नींद तुम्हें भी आती थी ।

दिन भर खेतों में निकल गया
क्षण भर भी नहीं विश्राम किया,
ताउम्र हमारे हेतु पिसे
कोल्हू का बैल बन काम किया ।

हे परमार्थी पर-उपकारी
त्यागों के अतुल चरित्र, नमन
हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. ।

डग-मग डग-मग कर गयीं डगें
मिल गयी कहीं जो विषम डगर,
हर कदम चले बनकर सम्बल
विचलित नहीं होने दिया मगर ।

चेहरे पर झुर्रियाँ बनीं भले
मन से न हुए थे कभी अजर,
आयु को किया हर बार पस्त
हर काम को करने को तत्पर ।

हे सत्यनिष्ठ ! हे धैर्यदेव !
हे कर्मठता के स्वरित्र, नमन
हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. ।

कष्टों की बारिश धूप ताप
सहते थे बरगद बने हुए,
हम अभय खेलते छाया में
सीना चौड़ाकर तने हुए ।

मैं, अंत काल तक कह कहकर
हाँ, ठीक हूँ बच्चो दिया धीर,
दिख रहा था जर्जर अस्थिजाल
कमजोर क्षीण अस्वस्थ शरीर ।

सूर्य सदृश सम शक्तिपुंज
अपनापन अजब विचित्र, नमन
हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. ।

आँखों में हज़ारों चिन्ताएं
कैसे होगा ? अब मैं तो चला,
अंतिम पल की भी अभिलाषा
ईश्वर करना बस सदा भला ।

मानो चिर जाप किया फिर से
लीं मूँद आँख भगवन समक्ष,
व्यवधान ना हो आराधन में
कर लिये शांत नाड़ी व वक्ष ।

चिन्हित कर पद हृदयपट पर
परलोकी, आह ! पवित्र गमन
हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. ।

पलटी बारी काँधों की अब
तिक-तिक स्वर पर कौन करे,
बस राम नाम का स्वर गुंजित
तुम अश्वारोही मौन धरे ।

लो विलय हो गये क्षण भर में
जीने की देकर एक राह,
हे त्यागमूर्ति ! परहिती ईष्ट
है गर्व मुझे हे पिता ! वाह

करबद्ध खड़ा मैं शीश झुका
हे क्षिति जल पावक पवन गगन
हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. ।

हे पावन पुण्य पवित्र नमन…..
हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. हे पितृ नमन.. ।

॥ भूपेन्द्र राघव ॥

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