Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
17 Apr 2022 · 1 min read

पिता

घर परिवार की जिम्मेदारीयों को निभाता रहता
हर घर में वो जो है पिता.

बच्चो बीबियों की खुशियों के ख़ातिर
अपना हर ग़म छुपा लेता है पिता.

जी तोड़ मेहनतक़शी करता वो
की उसके परिवार खुश रह सकें

परिवार की खुशियों के ख़ातिर
क्या क्या नहीं करता है पिता?

जैसे ही उसे बुलाता है पापा कोई?
खुशनुमा एहसास से भर जाता है पिता.

पिता बनते ही उसकी जिम्मेदारी हो जाती शुरू
बच्चों की खुशियों मे होने लगती उसकी भी खुशी.

बच्चों के हर ज़िद पूरे करता है पिता
अपनी जरूरतें अब सिर्फ़ ख़्वाहिशों मे दबा लेता है पिता.

घर कितना मायूस सा लगता
जब घर में नहीं होते हैं पिता?

उन्से पूछो तकलीफ़ कभी तुम सभी?
जिनके सिर से उठ गया साया पिता का?

कवि- डाॅ. किशन कारीगर
(©काॅपिराईट)

नोट- काव्य प्रतियोगिता के लिए मौलिक एंव स्वरचित रचना.

Loading...