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15 Apr 2022 · 1 min read

वसंत की छटा

हाकलि छंद
१४मात्रिक
चरणांत-गुरु
वसंत की छटा पर एक सजल/गीतिका

झूम रही तरु डाली है।
पेड़ों पर हरियाली है।।(१)

अमुआ बौर महकता ये,
गाती कोयल काली है।(२)

दिग-दिगंत में पुष्प खिले ,
धरा हुई मतवाली है।(३)

फूलों की मधु गंध लिए,
बहती पवन निराली है।(४)

सकल धरा के कण-कण में,
छायी मस्ती आली है ‌।।(५)

मनभावन वसंत आया,
आनंदित जग-माली है।(६)

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