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14 Apr 2022 · 1 min read

परिंदों सा।

तुम जो मिल गई हो तमन्ना ना कोई बची है।
वरना अब तक तो जिन्दगी सजा में कटी है।।

परिंदों सा था भटकता रहता था यूँ जहाँ में।
अब समझ में आया तुम्हारी ही कमी रही है।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

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