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12 Apr 2022 · 1 min read

झूठ बताकर

झूठ बताकर उसने मुझको रुसवा कर दिया,
ऊँची ऊँची नाक से कायम रुतबा कर दिया।
झाँक के मैंने गिरेबान में उसके जब देखा,
क़ौम का देकर वास्ता जारी फतवा कर दिया।
जिसने नहीं उडानें देखीं अपनी ज़िद्द की आसमाँ,
तहरीरों में अंधेरा कुनबा भारी कर दिया।

— कुमार अविनाश केसर
मुजफ्फरपुर, बिहार

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