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10 Apr 2022 · 1 min read

"रामनवमी पर्व"

कहहुँ कथा, इक परम पुनीता,
जनम राम कौ, अवध अतीता।

युग त्रेता, अवतार जु लीन्हाँ,
धन्य जगत, करमन करि दीन्हाँ।

चैत सुकुल, कै पक्ष जु आवा,
नवमी, मध्य दिवस, क्षण पावा।

ना अति सीत, न ताप चढ़ावा,
अभिजित पुन्य, महूरत गावा।

जनमे चार पुत्र दसरथ के,
राम, लखन, शत्रुघ्न, भरत से।

मुख सुकुमार, सुकोमल वर्णा,
पुलकित प्रजा, पड़े हरि चरणा।

रानी सबै, मनहिं हरषाईँ,
राजमहल मह, खुशियाँ छाईँ।

कौशल्या कै, राम दुलारे,
लखन, शत्रुघ्न, सुमित्रा प्यारे।

जनमे भरत, मातु कैकेई,
प्रीति परस्पर, परम सनेही।

सबतेँ बड़े, राम रघुराया,
राजिव-नयन, लोक अभिरामा।

धरम, धीरता, चरित सुहाई,
कबहूँ कीन्हि, अवज्ञा नाहीं।

गुरु वशिष्ठ, गुरुकुल पठवाए,
अल्पकाल, सब विद्या पाए।

मर्यादा की, लीक बनावा,
राम चरित्र, देवजन गावा।

विनती सुनहु, मोरि भगवाना,
भव तारहु, हौँ अधम समाना..!

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रचयिता
Dr.asha kumar rastogi
M.D.(Medicine), DTCD
Ex.Senior Consultant Physician, district hospital, Moradabad.
Presently working as Consultant Physician and Cardiologist, sri Dwarika hospital, near sbi Muhamdi, dist Lakhimpur kheri U.P. 262804 M.9415559964

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