Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
16 Apr 2022 · 1 min read

मेरी कलम ने कहा

आज, मेरी कलम ने मुझसे कहा –
बहुत दिन हो गए, चलो कुछ लिखते हैं,
चलो कुछ कहते हैं,
क्यों चुपचाप बैठे हो,
चलो कुछ करते हैं,
तुम ज़िंदा हो ये बताने जहाँ को –
चलो आगे बढ़ते हैं।
क्यों ठहर गया है तू?
क्या तुझे गंतव्य मिल गया है?
यह जीवन है संघर्षमय,
कब तक इस संघर्ष से डरोगे?
चलो इस डर को छोड़कर जीवन जीने चलते हैं,
अपने ज्ञान को बना हथियार,
चलो विश्व जीतने चलते हैं।
चीज़ें जो तुमको बनाएँ कमजोर –
मन, बुद्धि और शरीर से,
चलो उन व्यसनों को छोड़ते हैं।
बिना परिश्रम के कुछ नहीं मिलता –
यह जग जानता है।
सब जानकर क्यों अनजान बना है तू?
चलो इस आलस्य को छोड़ते हैं।

Loading...