√√ *प्रश्न हमारे तर्कशुद्ध हैं 【गीतिका】*
प्रश्न हमारे तर्कशुद्ध हैं 【गीतिका】
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(1)
प्रश्न उठाओगे तो उनके ,एक दिवस हल आएँगे
अब तक जो अन्याय हुआ है ,बादल सब छँट जाएँगे
(2)
प्रश्न उठाए हैं जो हमने ,चाहे अभी नहीं हल हों
लेकिन हलचल यह बहुतों के मन में खूब मचाएँगे
(3)
प्रश्न बीज का रुप मान ,बो कर तो मानस में देखो
एक दिवस यह फुलवारी बन जग-भर को महकाएँगे
(4)
प्रश्न उठा लो और फेंक दो नभ के अंतिम छोरों तक
यह परिवर्तन तुम देखोगे सारे नभ में लाएँगे
(5)
प्रश्न हमारे वैसे तो कवल दिमाग की कसरत हैं
मगर एक दिन युगपरिवर्तनकारी यह कहलाएँगे
(6)
प्रश्न हमारे तर्क शुद्ध हैं ,हमें भला फिर क्या डरना
जिनके मन में चोर छिपा है ,वह इनसे कतराएँगे
(7)
नहीं मिला जब कोई ,हमने प्रश्न अकेले उठा दिया
चलते-चलते दिवस कभी तो हम भी भीड़ जुटाएँगे
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451