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6 Apr 2022 · 1 min read

दर्द लफ़्ज़ों में

दर्द लफ़्ज़ों में गढ़ नहीं पाया ।
जिस्म-रूह को समझ नहीं पाया।।
बे’यकीनी थी उसकी आँखों में ।
जो मुझे पढ़ के पढ़ नहीं पाया ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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