√√ होशियारी रख (गीतिका)
होशियारी रख (गीतिका)
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(1)
यह दुनिया थोड़ी टेढ़ी है, जरा-सी होशियारी रख
अगर जीना है दुनिया में, बुरों से थोड़ी यारी रख
(2)
अगर अटकेगा कोई काम ,तो नेताजी कर देंगे
मतलब के लिए ही चाहे ,उनसे रिश्तेदारी रख
(3)
सभी तेरी तरह ही जिंदगी में गम के मारे हैं
मगर तू अपने होठों पर मधुर मुस्कान जारी रख
(4)
किसी दफ्तर में कोई काम फोकट में नहीं होता
जरा नोटों की गड्डी फाइलों पर थोड़ी भारी रख
(5)
यह जीवन है ,यहाँ संघर्ष अंतिम क्षण भी चलता है
भले जीते या हारे, जंग की अगली तैयारी रख
(6)
यह मतदाता भी बच्चों की तरह से ही बहलते हैं
चुनावों के लिए झोली में वादों की पिटारी रख
(7)
बगीचे-बाग मध्यम लोगों के घर में नहीं होते
मगर गमले में पौधा कोई ,छोटी एक क्यारी रख
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा,
रामपुर, (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615451