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26 Mar 2022 · 1 min read

अहां दिअ उवारी

क्षमा करु हे जननी, अज्ञान छल माँ भारी।
हम दीन छी भिखारी ,अज्ञान के पूजारी।

माँ के शरण में एलौं, कुंठित ठार भेलौं,
किछ सुछि नै रहल छै, माँ के कोना गोहारी,
हम दीन छी भिखारी ,अज्ञान के पूजारी।

नै धोन सों भरल छी,नै वोल सों सबल छी,
नै ज्ञान सों प्रबल छी, नै हृदय सों हम निश्छल छी ,
हम दीन छी भिखारी अज्ञान के पूजारी।

अहां क्षमा नै करबै, पावक परल माँ रहबै,
हम कांट सों बन्हल छी, अहां दिअ उवारी,
हम दीन छी भिखारी ,अज्ञान के पूजारी।

उमा झा

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