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21 Mar 2022 · 1 min read

जैसे कबीर है

कैसी निःशब्दता
कैसी ये पीर है
व्याकुल हैं नैन भी
मन भी अधीर है
घायल जो कर गया
हमें वो तेरे लफ़्ज़ों
का तीर है
बरसे तेरे वियोग में
नैनो से नीर है
जग से विरक्ता
जीवन विवशता
ह्रदय तो आज भी
जैसे कबीर है
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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