तितलियों ने बाग में डाला बसेरा आज है।
तितलियों ने बाग में डाला बसेरा आज है।
सृष्टि की यौवन कला का ये तो बस आगाज है।
मस्त भंवरे मस्त होकर गाभ का चुंबन करें,
पेड़ की कोंपल लताओं से बरसता साज है।।
पतझडें अब सुस्त होकर देखतीं टक टक उन्हें
हरित हरियाली हुई हर ओर उसका राज है।
बौर भी बौरा रहा है शाख पर तरु आम की
फूल खुशबू के खिलें हैं हर तरफ ही देखिए,
और कोयल कूक कर करती स्वयं पर नाज है।
हुश्न पर पाबंदियों का आज पहरा है लगा
और कोरोना विषाणु की धरा पर गाज है।।