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15 Mar 2022 · 1 min read

आयी होली, आयी होली

आयी होली, आयी होली

आयी होली, आयी होली।
सब मिलजुल कर खेलो होली।।

गुम हो गए अब हंसी ठहाके।
रहते सब भेदभाव का रंग चढ़ा कर।।
हर तरफ मज़हब की जंग है।
या छिड़ी कुर्सी की जंग है।।

बिखरा आतंक का कहर है।
हो रहा बस नरसंहार हैं।।
नारी की अस्मत पर भी, हो रहा प्रहार है।
सहमी धरा डरकर, व्याकुल, बेकरार है।।

प्रीत का अबीर, गुलाल लगाकर,
फाग गाकर, मल्हार गाकर,
प्रेम की रंगीन फुहारों से,
शत्रु का हृदय पावन करना।

जिनके बेटे हैं सरहद पर,
डटे हैं प्रहरी बन सीमा पर,
अपने देश के रक्षक बनकर,
खेल रहे हैं खून की गोली।

उनका घर वीरान न करना।
उन्हें विश्वास की भांग खिलाना।।
स्नेह के रंगों से तन-मन रंगना।
सद्भाव की मीठी गुझिया से,
जीवन उनका मधुर बनाना।।

यह राम,कृष्ण, नानक की भूमि है।
गौतम, ईसा, मोहम्मद की भूमि है।।
मन में कोई वैर न रखना।
प्रेममय सतरंगी रंगों से,
सकल धरा रंगमय करना।।

आयी होली, आयी होली।
सब मिलजुल कर खेलो होली।।
दीपाली कालरा

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