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21 Sep 2021 · 1 min read

माधव मोरा नुआ धूआ

माधव मोरा नूआ धूआ,पवन वेग मे उधियाबै
दुख नैय करैय करेजा,फेरो नोर कियै भरी आबैय
बड जतनसँ तनमा पोसलहू ,आजु बहीस नइँ जायै
पिपरक डारि तर बसला माधब,छोड़ी के अंगराबै
माधव मोरा नुआ धूआ पवनवेग मे उधियाबै

दुभी दुभी जल लागी तरसै,तखन दरिख दिखायै
ऊँच ऊँच पहाड घर मोरा,तिरपित नैनन कुहकाबै
कचका बन्हि धागा पायल,अनसुहात खनक जायै
माधव मोरा बाजै नहि,खयला बिनु उठी जायै
माधव मोरा नुआ धूआ,पवनवेग मे उधियाबै

जमि जमि बरसै बदरिया,लुकी छीपी जायै
अगँ अगँ तोड़ल पावन, पारथ कतहुँ बंसी बजाबै
डेगि डेगि चलैय,बातर हमहि प्रण उडी उडी जाऐय
माधव मोरा नटुआ हो रामा, विधा रचथिन जानै
माधव मोरा नुआ धूआ पवनवेग मे उधियाबै

मौलिक एवं स्वरचित
© -श्रीहर्ष आचार्य

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