Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
30 Sep 2021 · 1 min read

" ठूंठ गाछ "

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
==============
हम ठूंठ भेल अखनो धरि
ठाढ़ एहि आँगन मे
थाकल प्यासल मलिन भेल
रौदक तपिस
पानि विहारि सहैत
प्रहरी बनल
अखनो धरि अविचल बनल
आँगन मे ठाढ़ छी
हमरो छल मान सम्मान
हमहूँ कखनहूँ छलहूँ
मंजराइत
फल सं हम लदले रहित छलहूँ
लोग सब हमर
ओगरवाही करैत छलाह
नित दिन जलाभिषेक होइत छल
आरती क थारी सं
हमर आरती उतारि
टिका चन्दन हमर अंग -अंग
लगाओल जाइत छल
हमर पल्लव पूजा मे काज सबदिन अबैत छल
सुखलाहा डारि
सेहो हवन क लेल सब ल’ जाइत छलाह
आब हम बरिष्ट भेलहूँ
ठूंठ भेलहुँ
वसंत सेहो वाम भेलाह
किनको नहि दरेग छनि
तइयो हम ठूंठ भेल अखनो धरि
ठाढ़ एहि आँगन मे
कनि मनि छहरि हम अखनो धरि दइते छियनि !!
==================
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत

Loading...