Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
3 Oct 2021 · 5 min read

बाल बैरागी

बाल बैरागी।
रामपुर गांव में एगो युवा साधु आयल रहे।लोग सभ उनकर नाम पुछलक त साधु बोलल-हमर नाम बाल बैरागी हैय। हमर घर युपी के एगो गांव हरिपुर में रहै। हमर बाबू माय बाल कालि में स्वर्गीय भे गेल।त हम एगो साधु के जौरे अयोध्या धाम चल गेली।बीस बरस तक एगो मंदिर में रहली।बाल बैरागी नाम हमर गुरु जी के धैल हैय। गुरु जी हमरा आदेश देलन कि गांव-गांव में जाकर सीताराम नाम का प्रचार-प्रसार करा। सीताराम नाम के यज्ञ कराबा।
बाल बैरागी देखें में २६-२७ साल के सुदर्शन युवक लागे।वो अपन झोंटा आ दाढ़ी में खुब फबे।उजर रंग के सुती चौबंदी पेहने रहे।उजरे रंग के धोती लूंगी लेखा कमर में लपटले रहे।बम्मा हाथ में घड़ी आ पैर में खड़ाम पेहने रहे।
लोग सभ कहलक-साधु जी,चलु हमरा गांव में एगो मंदिर हैय। वहीं रहब आ अपन पूजा-पाठ करब।बाल बैरागी कहलन-हम मंदिर में न रहब।हम अलगे कुटिया बना के रहब। हमरा सीताराम नाम जप यज्ञ करे के हैय।वै के जगह लेल पांच बीघा जमीन चाही। एगो सीताराम भगवान के मंडप,एगो यज्ञ मंडप,जैमै नौ दिवसीय चौबीसों घंटा सीताराम नाम के कीर्तन होतै।एगो साधु निवास कुटी,जैमे हम रहब।आ एगो बड़का पांडाल जैमे किर्तनीया मंडली सभ रहतै।फैर वोकरा सभ के खाये पीये के व्यवस्था।लोग सभ कहलन- सभ व्यवस्था हम सभ करबैय। पहिले मंदिर पर चलूं आ महंथ जी से बात करूं। जगह के लेल जमीन त महंथ जी देता।बाल बैरागी कहलन-चलू। मंदिर पर अयला पर मंहथ जी आ बाल बैरागी में दंड परनाम भेल। बैरागी जी अपन परिचय देत सीताराम नाम यज्ञ के लेल सभ बात बिस्तार से बतलैलन। महंथ जी बोललन-बैरागी जी, मंदिर के आगे के पांच बीघा जमीन यज्ञ के लेल दैय छी।आ और हम यथाशक्ति मदद करब।परोपटा से भी लोग सभ के मदद के लेल कहब। इ त भगवान के काज हैय।आशा हैय सभ समाज के मदद मिलत।
बैरागी जी कहलन-महंथ जी,सभ से पहिले एगो भगवान् सीताराम के लेल एगो मंडप आ एगो साधु निवास के लेल एगो कुटिया बनाबै में सहयोग कैल जाय। महंत जी अपना करपरदाज के कहलन कि जाके बैरागी जी के काज सभ कर दा।लोग सभ भी लगभीर के मंडप आ कुटिया बना देलक
दोसर दिन से एगो जीप भाड़ा करके भाड़ा परकें लाउडस्पीकर से प्रचार होय लागल। एक महिना में सभ तैयारी हो गेल। ठीक रामनवमी के रोज से सीताराम नाम जप यज्ञ शुरू हो गेल। नौ रोज के बाद यज्ञ समाप्त भे गेल।
अइ नौ रोज कै यज्ञ में गांव के एगो अठ्ठारह बरस के नवयुवती सेहो रोज यज्ञ देखै अबैत रहे।उ सीता राम मंडप में भी पूजा करैत रहै।श्वैत कमल रंग के देह, चनरमा सन मुखरा, नारंगी के फांकि सन होंठ, चांदी सन चमकैत दांत, सुग्गा के चोंच सन नाक, खंजन सन आंखि,बादल सन करिया कमर तक केश, कमल पुष्प सन कूच,कोयली सन बोली आ हिरणी सन चाल रहे।
बैरागी जी के नजर वोइ नवयुवती पर पड़ल त कनिका देर तक देखते रह गेल। कनिका झैपलन !फेर पुछलथिन-तोहर नाम कि हौ। नवयुवती बोललक-रंभा।हमर घर यही गांव में हैय। जग त समाप्त भ गेल हैय।परंच पूजा करे हम रोज दिन आयब। हमरा पूजा करै में मन लागैय हैय। बैरागी जी बोललन-पूजा त मानुष के करिए के चाही।बड़ा कठिन से लोग मानुष के देह पाबै हैय। यही के लैल हम जगह जगह सीताराम नाम जप यज्ञ करबै छी कि लोगक मन में भगवान के प्रति प्रेम आ श्रद्धा बढै।
रंम्भा के इ सभ सुनि के भगवान के साथे बैरागी जी के लेल भी प्रेम आ श्रद्धा मन में उठे लागल।रम्भा बोललक-साधु जी।अब हम घरे जाइछी।काल्हि से रोज पूजा करे आयब। बैरागी जी कहलन-अच्छा ।
रम्भा फुलडलिया में पूजा के समान ध के सीताराम मंडप में पूजा करे आबे लागल। पूजा में बैरागी जी भी साथ देबै लगनन। रंभा आ बैरागी जी के हाथ आपस में छूआए लागल। कभी कभी देह में देह भी सटे लागल।दूनू में भगवान राम आ सीता के प्रेम प्रसंग सुनैत सुनैत रंभा आ बैरागी जी में प्रेम अंकुरित होय लागल।प्रेम अपन रंग चढावे लागल।अब प्रेम के अंतिम परिणति देह की कामना भी जगे लागल।
एक दिन बैरागी जी रंभा से कहलन-रंभा अब इंहा रहनाइ ठीक नै हैय।दूनू गोरे आइ राते रात भाग चला। रंभा बोललक-हां। पहिले सांझ में हम घर से आ जायब। भगवान के सामने हम दूनू गोरे पहिले बिआह क लैब त राते राति भाग जायब। बैरागी जी कहलन -अच्छा। देर न करिहा। रंभा बोललन-जी।
रंभा पहिले सांझ में सीताराम मंडप में आ गेल।
बैरागी जी सेनुर लेके तैयार रहत। पहिले रंभा के मांग में पांच बेर सेनूर भर देलन।दूनू गोरे भगवान के परनाम कैलन। दूनू गोरे एक बार एक दोसर के आलिंगन कैलन।एक दोसर के अधरपान कैलन।तेकर बाद बैरागी जी कहलन-रंभा अब देर न करा।चला!भाग चला!
अब दूनू गोरे एम पी के एगो होटल में रुम बुक करा के रहे लागल। बैरागी जी झोटा दाढ़ी पहिले ही कटा के सामान्य युवक लेका लुक करा लैलै रहे। रुपया पैसा के त कमिये न रहे।
गांव में हल्ला हो गेल बाबाजी गांव के लड़की के लेके भाग गेल।लोग तरह तरह के बात करै लागल। लेकिन आश्चर्य इ कि लड़की के बाप बोललक भाग गेल त भाग गेल।परंच अपने जाति के ही बाबा जी रहे।आ बुढ न रहे। एकदम जवान बाबा जी रहे। बुझाए हैय भगवान जोरि बनैले रहै।एक दम सीता आ राम जैसन।
बैरागी जी गांव के अपन खास चेला सभ से मोबाइल संपर्क बनैले रहे।ठोह लैत रहे।इंहा चेला सभ कहें। गुरु जी परेम कैलथिन आ शादी कैलथिन ।त कोना बुरा करम नै कलथिन।वोना त बाबा जी सभ रखैल रखै छथिन। लेकिन हमर गुरु महाराज वोना न कैलथिन। भगवान के दरबार में शादी कैलथिन। वो तो लोकक आक्रोश के डर से भाग गेलथिन।कि आक्रोश में लोग जान मार देय छैय। अब जौं वो शादी कै लेलथिन।त वो हमरा सभ के गुरु माता भेलथिन। हमरा गुरु माता आ गुरु जी से कोई घृणा न हैय। अई बात के असर भेल।लोग सभ के बैरागी जी आ रंभा के लेल सहानुभूति प्रेम आ श्रद्धा जागे लागल। चेला इ सभ सूचना बैरागी जी के दैत रहे।
दो बरस के बाद अनुकूल समय देखि के बाल बैरागी रम्भा सहित गांव में अइलन। बैरागी जी त अपना वेष में रहिते रहे।परंच रंभा के बेष कोतुहल के विषय रहै। एक दम उजर भेष में। रंभा बैरागिन (माइराम) लागै। चेला सभ रंभा के गुरु माता कहैत चरण छुए आ बाद में बैरागी जी के।रम्भा आ बैरागी जी आशीर्वाद के मुद्रा में हाथ उठैले खड़ा रहै।
आइ रम्भा आ बैरागी जी वोही कुटिया में गृहस्थ ऋषि परंपरा में रहैत भजन भाव के साथ गैया के सेवा करैत हैय।
स्वरचित@सर्वाधिकार रचनाकाराधीन
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।

Loading...