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6 Oct 2021 · 1 min read

मिथिलाञ्चल विश्व मे ,ज्ञान गरिमाक धाम छल।

मिथिलाञ्चल विश्व मे ,ज्ञान गरिमाक धाम छल।
सभ्यताक विस्तृत क्षेत्र मे, विद्वताक ठाम छल।।
नैतिकताकेर बनिञा,जखनहिं नगरमे जन्मलेल।
मिथिलाक संस्कृति संङ पाण्डित्य,तखनहिं विलुप्त भेल।।
विद्वताक स्थान ग्रहण कएने ,शराब अछि।
मानवता के माथपर राक्षसताक दबाब अछि।।
समाज मे दहेजक आदान-प्रदान,प्रतिष्ठाक मापदंड अछि।
मानवता संङ सामाजिक एकता,भेल खण्ड-खण्ड अछि।।
चौक चौक पर ज्ञान बिकाइए,पानक मात्र दोकान मे।
मनुष्य मात्र जन्म लैत छथि ,महल आलिशान मे।।
वेद शास्त्र सब हकन कनै छथि ,शून्य श्मशान मे।
नीति आदर्शक दाम देखु,चाहक दोकान मे।।
वेदक चर्चागाह बनल अछि,गामक सबमधुशाला।
युवक रूपके सजा रहल छथि,पहिरक’ मुण्डक माला।।
पश्चिमी सभ्यताक छटा के देखु,तरुणि वयसके वाला मे।
मैथिली-मिथिला दहा रहल अछि,मधुशाला के नाला मे।।

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