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20 Dec 2021 · 1 min read

इजोरिया

प्रबल अधुनिक काल मे
ओझल संस्कृति संस्कार मे
मानसिक रुपि शब्द वेदन व्याप्त
मनुक्ख अबोध निर्बल सभ्भ कोरा
बढउनै उठनै पग पग संग धेने चलु
जाहि ठाम छीटल सगरे इजोरिया
जगत जननी कें पुजैत जाहि ठाम
बैरी करैत सतार्थ साहित्य प्रहार
धन विद्यासँ दुउरा अगना सोभे
जतए गंगा माँ करैत नित सिगार
पैर पसारि छमकि अंग धारा पर
बज्जि के इजोत मे जगमग संसार
हे बाबा बैद्यनाथ जन्म होइ मिथिले मे
धन्य प्राचीन पाओल संस्कृति संस्कार

मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य

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