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5 Jul 2021 · 1 min read

मतगयंद सवैया

विधा — मत्तगयंद सवैया छन्द
विषय– पावस
1.
पावस आइल बा सजनी चल
साजन के पतिया लिखवाईं।
दादुर मोर पपीहा पुकारत
पीर जिया सब बात बताईं।
मोहि डरावत बा बदरा उर
चीर जिया सब हाल सुनाईं,
लौट पिया अब देश पधारसु
फूलन से रहिया सजवाईं।
2.
नीमन लागत बा सखियाँ अति
पावस के ऋतु ई सुखकारी।
छाइल बा अति घोर घटा मन
मोरि डरावत बादर कारी।
झूलत आम सुडार सखी मिल
झूम रही सब हो मतवारी ।
मोर पिया परदेश बसे बिन
साजन बा मनवा बड़ भारी।
स्वरचि ©
प्रमिला श्री ‘तिवारी’ धनबाद (झारखण्ड)

Language: Bhojpuri
3 Likes · 2 Comments · 783 Views
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