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12 Mar 2022 · 1 min read

तुम से ही प्यार का दीप जलता रहे।

ग़ज़ल

212…….212…….212…….212
तुम से ही प्यार का दीप जलता रहे।
देखकर मन तुम्हें ही मचलता रहे।

रंग कोई न दूजा चढ़े आप पर,
प्यार का रंग मेरा ही खिलता रहे।

और चाहूं न कुछ या खुदा आपसे,
उन से दिल बस मेरा यूं ही मिलता रहे।

तुम रहो साथ तो साथ खुशियां सदा,
एक त्योहार हर दिन ही चलता रहे।

प्रेम करता हूं प्रेमी बना लें मुझे,
प्यार तेरा मेरा यूं ही पलता रहे।

……..✍️ प्रेमी

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