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12 Mar 2022 · 1 min read

चंचल चपल चकोरी सी फिरती जो बाबरी।

गज़ल

221……2121…….1221…….212
चंचल चपल चकोरी सी फिरती जो बाबरी।
दिल ले गई हमारा वहीं ……..गोरी सांवरी।

गुजरे जिधर से जब भी उसे देखते सभी,
थे सब नज़र के प्यासे हुई जैसे मयकशी।

अपना भरा हो पेट हमें किसकी है खबर,
मतलब की दुनियां है ये देखे न मुफलिसी।

दुनियां मे अनगिनत है गरीबों को देख लो,
तुमको मिला जो खूब तो बांटो हँसी खुशी।

प्रेमी ने जो रचे वो ……..तराने लबों पे हो,
जिंदा रखेगी ……मुझको मेरे बाद शायरी।

…….✍️ प्रेमी

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