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10 Mar 2022 · 1 min read

खीज

खीज

ये कल का छोकरा क्या जाने साहित्य क्या होता है? यह मोबाइल के शक्रीन पर ही उंगली मार सकता है। यह चिंतन-मनन से कोसों दूर है। इधर-उधर से कॉपी कर लेता होगा। इस तरह से वरिष्ठ लेखकों द्वारा नवोदित महेश को नवाजा जा रहा था।
वे नवोदित महेश से कम पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने की व नई तकनीक से अनभिग होने की खीज मिटा रहे थे।

-विनोद सिल्ला

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