√√केवल हम व्यापारी हैं 【गीत 】
केवल हम व्यापारी हैं 【गीत 】
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हम न दलों के पिछलग्गू
रखते एक न यारी हैं,
जाति नहीं पूछो मजहब
केवल हम व्यापारी हैं।
(1)
सत्ता चाहे जिस दल की हो
हम उससे टकराते ,
आँधी या तूफान सामने हो
पर कदम बढ़ाते
उत्पीड़न जो करतीं
सरकारें हमसे हारी हैं
(2)
यह मकड़ी के जालों-से
कानून बने अनुचित हैं,
यह इन्सपेक्टर – राज
स्वार्थ इसमें कुछ बड़े निहित हैं।
थोपे गए नियम-बेढ़ंगे
यह स्वेच्छाचारी हैं।
(3)
हमने देश सँवारा
हमने भारत को महकाया,
हमने गंगा के-यमुना के
यशोगान को गाया ।
जन्म लिया इस धरती पर
हम इसके आभारी हैं।
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451