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5 Mar 2022 · 1 min read

कागज की कश्ती

कौन गया और ये कौन आया
दुनियां फानी यही समझ पाया

आइना क्या दिखाएगा सूरत
मेरी आंखो मे देख लो साया

थोड़ा प्यार हमें भी करने दो
गुनाह होगा उन्होने समझाया

सुख तलाशता रहा उम्र भर
पीछे देखा तो दुख की छाया

कागज की कश्ती पे सवारी है
पार उतरेंगे ये मन भरमाया

मनव्यथा से दहलती छाती
अनकहा अनगढ़ मर्म शर्माया

मानव जीवन मे बसे अंधेरे को
दूर कर पाऊं सोंच मन हर्षाया

अंधेरे उजाले मे बदल जायेंगे
शुक्रिया जिसने ये समझाया

गुमान तूफां डुबोएगा कश्ती
ये हमको साहिल पे ले आया

स्वरचित
मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर

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