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5 Mar 2022 · 1 min read

भूगोल

नहीं समझ आता मुझे, धरती का भूगोल
वक्री वक्री चाल है, चेहरा क्यों सुडोल
है सारे संसार की, रचना ही संताप
खेले सारी उम्रभर, हुआ न कोई गोल।।

सूर्यकांत द्विवेदी

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